जानकारी प्रप्त होने के बाद भगवान बद्रीनाथ के निमित यथाशक्ति दान किजिये   जानकारी प्रप्त होने के बाद भगवान बद्रीनाथ के निमित यथाशक्ति दान किजिये
बद्रीनाथ मंदिर कपाट 12 मई 2024 को खुलेंगे    केदारनाथ मंदिर कपाट 10 मई 2024 को खुलेंगे    गंगोत्री मंदिर कपाट 10 मई 2024 को खुलेंगे   यमुनोत्री मंदिर कपाट 10 मई 2024 को खुलेंगे  

श्री बद्रीनाथ धाम के सिंधी व पंजाबी पुरोहित

सिन्धं व पजांब क्षेत्र की पुरोहिती का विवरण व इतिहास
पं॰ बालमुकुन्द महाराज व उनके सुपुत्र पं॰ नाथुराम महाराज जी की शिक्षा लाहौर पाकिस्तान से हुई है। क्योंकि पण्डिताई का आंवटित क्षेत्र सिन्ध व पंजाब था तो अधिकतर समय इसी क्षेत्र में गुजरा श्री बद्रीनाथ धाम में पट छः माह की अवधि (मई से नवम्बर) तक खुलते है। तो बाकी छः माह सारे पण्डे अपने-अपने क्षेत्रों का भ्रमण करते है। और हिन्दू वैश्णव धर्म का प्रचार व अध्यात्मिक ज्ञान का प्रसार करते है। भारत पाकिस्तान विभाजन के समय पं॰ नाथुराम महाराज के सुपुत्र पं॰ सन्तलाल महाराज ने पणडावृत्ति का बुरा समय देखा है। सिन्धी व पंजाबी लोंग अपनी सम्पन्नता और

पूजा

तप्तकुंड पूजा

तप्त कुंड बद्रीनाथ में बद्रीनारायण मंदिर के बगल में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है, हमारे पूर्वजों के अनुष्ठान अधिकारों का पालन करने के लिए जगह चाहिए, जो हमारे साथ नहीं हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार इसका मानना ​​है कि जब आप अनुष्ठान अधिकार और पूजा ताप्त कुंड पर करते हैं।

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नारायण पूजा

सत्यनारायण भगवान की कथा लोक में प्रचलित है। हिंदू धर्मावलंबियो के बीच सबसे प्रतिष्ठित व्रत कथा के रूप में भगवान विष्णु के सत्य स्वरूप की सत्यनारायण व्रत कथा है। कुछ लोग मनौती पूरी होने पर, कुछ अन्य नियमित रूप से इस कथा का आयोजन करते हैं। सत्यनारायण व्रतकथा के दो भाग हैं |

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पिंड पूजा

हम बद्रीनाथ में पिंड दान के लिए व्यापक सेवाएं प्रदान करते हैं जहां हमारे ब्राह्मण पंडित पवित्र ग्रंथों और परंपरा के अनुसार अनुष्ठान करेंगे, यहां तक ​​कि आपके और आपके परिवार के बिना भी पिंड दान हिंदू धर्म के प्रत्येक अनुयायी से अपेक्षित धार्मिक दायित्व है,.

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तर्पण पूजा

पितरों को तर्पण और पिंडदान कर उनके मोक्ष का द्वार खोलने वाले श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हो चुकी है। श्राद्ध पक्ष के शुरू होते ही बदरीनाथ धाम स्थित ब्रहमकपाल तीर्थ स्‍थान का महत्‍व और गोपेश्वर। पितरों को तर्पण और पिंडदान कर उनके मोक्ष का द्वार खोलने वाले श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हो चुकी है।

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पंडित राजीव पंचपुरी

श्री बद्रीनाथ धाम में सिन्धी एवं पंजाबी पुरोहित राजीव पंचपुरी महाराज विगत १॰ वर्शो से पणडावृत्ति करते है। इन्हे पुरोहिती का अधिकार वंषानुगत प्राप्त है। आप मुख्यतः सिन्ध षिकापुर व खैरपुर के पुरोहित है। आपकी वर्तमान फर्म का भैरवलाल संतलाल सिन्धी महाराज है। आप गणित विशय से एम. एस. सी. है और वर्तमान में पुरोहिती के अन्यत्र प्रावेट स्कूल में शिक्षक भी है। श्री बद्रीनाथ धाम में पणडावृत्ति पीढी दर पीढी चलने वाला क्रम है। जिससे में सिन्ध व पंजाब क्षेत्र पाकिस्तान से आये हुए यजमानों के पित्रों के मोक्ष निमत पिण्ड पुजा व तर्पण पुजा व तीर्थ पुजा का समस्त अधिकार प्राप्त है। यजमानों की वंषावली हस्ताक्षर सहित नोट की जाती है।

देव प्रयाग

देवप्रयाग भारत के उत्तराखण्ड राज्य में स्थित एक नगर एवं प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। यह अलकनंदा तथा भागीरथी नदियों के संगम पर स्थित है। इसी संगम स्थल के बाद इस नदी को पहली बार 'गंगा' के नाम से जाना जाता है। यहाँ श्री रघुनाथ जी का मंदिर है, जहाँ हिंदू तीर्थयात्री भारत के कोने कोने से आते हैं। देवप्रयाग अलकनंदा और भागीरथी नदियों के संगम पर बसा है। यहीं से दोनों नदियों की सम्मिलित धारा 'गंगा' कहलाती है। यह टेहरी से १८ मील दक्षिण-दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित है। प्राचीन हिंदू मंदिर के कारण इस तीर्थस्थान का विशेष महत्व है। संगम पर होने के कारण तीर्थराज प्रयाग की भाँति ही इसका भी नामकरण हुआ है।



बद्रीनाथ मंदिर

नौवीं शताब्दी में आदि शंकरा द्वारा बद्रीनाथ को एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में फिर से स्थापित किया गया था। बद्रीनाथ में मंदिर हिंदुओं के लिए और विशेष रूप से वैष्णवों के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थल है। बद्रीनाथ भी कई पर्वतारोहण मिशनों के लिए प्रवेश द्वार है जो नीलकंठ जैसे पहाड़ों की ओर जाता है. .
बद्रीनाथ का महत्व बद्रीनाथ उत्तराखंड का एक छोटा, पवित्र शहर है। हिंदुओं के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक, इस शहर में स्थित बद्रीनाथ मंदिर, चार धाम यात्रा में शामिल है। मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। बद्रीनाथ मंदिर 7 बद्री के बीच का प्राथमिक मंदिर है, जिसे सप्त बद्री के नाम से जाना जाता है। अन्य छह बद्री आदि बद्री, ध्यान बद्री, अर्ध बद्री, वृद्धा बद्री, भावना बद्री और योगध्यान बद्री हैं।